जैसे मुट्ठी से रेत हो कम
इस आज मैं जितनी ख़ुशी है कल
इस ख़ुशी में होगा उतना गम
अपनों की महफ़िल मैं जगना
सपनो की कश्ती मैं सोना
जो साथ मिला है शिद्दत से
कैसा होगा उसको खोना
रातें जो कटी बस बातों में
संग रहे सभी हालातों में
जब भी मस्तानी चली हवा
तब हाथ थे अपने हाथों में
एक सपनो की दुनिया जैसा
है अपना यूँ एक संग होना
कभी हँसना पेट पकड़ कर तो
कभी काँधे सर रखकर रोना
कल जाने कहाँ होंगे हम तुम
पर साथ रहेगा याराना
जितना मैंने तुझको समझा
उतना तुने मुझको जाना
कुछ सोच के दिल भर आएगा
कुछ सोच के होंगी आँखें नम
जब ये पल याद आएँगे और
खुद को तन्हा पाएँगे हम
पर चाहकर भी इन लम्हों में
वापस न जा पाएँगे हम ......
v@ru
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