चुपके से तेरे सपनो में आउंगी इक दिन
तेरे सपनो को तुझसे चुरा जाउंगी
उन्ही सपनो को इक दिन बनाकर हकीकत
तेरी आँखों को वापस लौटा जाउंगी
धीरे से तेरे आँगन में आउंगी इक दिन
तेरी तुलसी में वो जल चढ़ा जाउंगी
गम तेरे मांग लुंगी मैं इश्वर से सरे
चादर में खुशियों की तुझको सुला जाउंगी
तेरे मंदिर में दीपक जलाऊंगी इक दिन
तेरी दुनिया को जन्नत बना जाउंगी
नींद से जब तू जागे तो हैरान न हो
तेरी खातिर निशानी छुपा जाउंगी
तेरी खुशेयों के दम पे मैं हस्ती रहूंगी
और एहसासों में तेरे बस्ती रहूंगी
जाते जाते मगर मैं तेरे माथे पर
अपने काजल का टीका लगा जाउंगी
करते हैं वादा तुझसे ये जज़्बात मेरे
आएगी जब कभी मौत राहों में तेरे
कहीं मैं रहूँ मेरी जां इस जहाँ में
उस पल तेरी राहों में आ जाउंगी
तेरी बाहों में सांसें गँवा जाउंगी
सौपकर तेरा जीवन मैं तुझको दोबारा
उस दिन अपनी मंजिल को पा जाउंगी
कस्तूरी मृग सा ढूँढोगे मुझको जहाँ में
फिजा में वो खुशबू मिला जाउंगी
-varu
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