Tuesday, 6 September 2011

अचानक


अचानक हुआ क्या ज़हन को मेरे
ये आँखों से नींदें क्यों मेरी उडी
मेरी धड़कन से रिश्ता तेरे दिल का और 
मेरे दिल से धड़कन ये  तेरी जुडी

देखकर तुझको नज़रें झुकाने लगी
तेरी बाहों में दुनिया बसाने लगी
क्या हुआ ये मुझे एक ही पल में के
अपने खाबों में तुझको बुलाने लगी

तुझसे मिलना इबादत सा लगने लगा
तुझे दामन में अपने छुपाने लगी
महफिलों में रहूँ चाहे तन्हाई में
आहटें तेरी दिल को सताने लगी

सोचकर तुझको यूँ मुस्कुराने लगी
और जुदाई में पलकें भिगाने  लगी
मुझको मुझसे चुराकर तू यूँ ले गया
बनके जोगन सी मै तुझको चाहने लगी

दिल न जाने के क्या हूँ मैं तेरे लिये
जाँ है तू मेरी तू मेरा संसार है
शमा जलती है परवाना भी जलता है
दुनिया कहती हैं ये दर्द ही प्यार है ........


-varu

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