फिजाओं से आज चुरा कर के खुशबु,
जहाँ सिर्फ अपना ,महकाने का मन है
अपने सपनो की दुनिया में जाने का या,
हकीकत में तुझको बुलाने का मन है
तेरी राहों में दीपक जलाकर हज़ारों
इंतज़ार में पलकें बिछाने का मन है,
मन के रंगों से चौखट सजाने का या,
सज के खुद तेरी चौखट पे जाने का मन है,
बहुत मिल चुकी तुझसे सपनो में मै,
अब मिलकर कुछ सपने सजाने का मन है,
अपनी चाहत में तुझको डुबाने का या
तेरे इश्क में खुद डूब जाने का मन है
बहारों को आज बनाकर के मेहमां,
आँगन में सावन बुलाने का मन है
तेरी बातों में आँखें भीगाने का या,
तेरे संग बूंदों में भीग जाने का मन है,
सिर्फ तेरे लिये आजतक जो लिखी
सारी कविताएँ तुझको सुनाने का मन है,
तेरी आँखों से नींदें चुराने का या,
तेरे काँधे पे खुद ही सो जाने का मन है,
चाँद का महेल हो तारे हों पहरेदार
वक़्त से कुछ लम्हें आज मांग लें उधार,
इबादत में तेरी उठाने का पलकें,
या सजदे में सर को झुकाने का मन है,
इन्ही लम्हों में अब तो बिताने का जीवन ,
या जीवन में ये लम्हे पाने का मन है....
-Varu
Very nice peom...
ReplyDeleteThnQ sir..:)
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